प्रेग्नेंट हिरणी के निकले आंसू गोद में उठाया तो इंसानों के जैसे बिलखने लगी

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बाड़मेर प्रेग्नेंट हिरणी को बचाया
बाड़मेर बाइक की टक्कर से घायल प्रेग्नेंट हिरणी को बचाया

प्रेग्नेंट हिरणी के निकले आंसू गोद में उठाया तो इंसानों के जैसे बिलखने लगी, डरी-सहमी झाड़ियों में तड़पती मिली थी

बाड़मेर प्रेग्नेंट हिरणी को बचाया
बाड़मेर बाइक की टक्कर से घायल प्रेग्नेंट हिरणी को बचाया

सौ से ज्यादा हिरणों की जान बचा चुका है नरपतसिंह राजपुरोहित लंगेरा 

बाइक की टक्कर से घायल प्रेग्नेंट हिरणी को बचाया तो आंखों से आंसू बहने लगे। सड़क पार करते समय बाइक ने टक्कर मार दी थी। वह डरी-सहमी झाड़ियों में तड़पती बैठी थी। किसी की नजर पड़ी तो ग्रीनमैन नरपतसिंह राजपुरोहित को सूचना दी। ग्रीनमैन ने उसे उठाया और सीने से लगाया तो वह बिलख पड़ी

 

दरअसल, बाड़मेर से मुनाबाव जाने वाली सड़क का पिछले कुछ माह से काम चल रहा है। 15 दिन पहले सड़क क्रॉस के दौरान बाइक की टक्कर से मादा हिरण घायल हो गई। वह झाड़ियों में दुबकी, सहमी और डरी हुई बैठा थी। वहां से निकल रहे लोगों ने लंगेरा गांव निवासी नरपतसिंह राजपुरोहित को कॉल किया।

नरपतसिंह ग्रीनमैन के नाम से जाना जाते हैं । सूचना मिलने ही नरपतसिंह वहां पर पहुंचे और मादा हिरण को देखा और झाड़ियों से उठाकर गोद में लिया। गोद में लेते ही नरपतसिंह को पता चला कि यह हिरणी प्रेग्नेंट है। उसके पीछे वाले पैर पर चोट के निशान थे।

प्रेग्नेंट हिरणी बचाया
नरपतसिंह राजपुरोहित लंगेरा प्रेग्नेंट हिरणी बचाया

नरपतसिंह ने बताया कि गोद में लेते ही मादा हिरण के आंसू बहने लग गए। मेरी खुद की आंखें भर आई थीं। गांवों में आए दिन हिरण घायल हो रहे हैं। खेतों में तारबंदी से हिरण दौड़ने के दौरान चोटिल हो जाते हैं। समय पर इलाज मिलने से हिरण बच जाते हैं। लोगों से अपील है कि कंटीले तारों को न लगाए । हिरण राज्य पशु है।

घर ले जाकर इलाज किया प्रेग्नेंट हिरणी का अपने स्तर पर पहले देसी इलाज किया। हल्दी व मलहम लगाया। इसके बाद वन विभाग को सूचना देकर उसे अपने घर पर ले गया। वहां पर इलाज करने के तीन-चार दिन बाद वन विभाग को सुपुर्द कर दिया। नरपतसिंह का कहना है कि अब हिरण बिल्कुल स्वस्थ्य है।

सौ से ज्यादा हिरणों की जान बचा चुके हैं नरपतसिंह नरपतसिंह का कहना है कि हिरण बहुत ही बुद्धिमान और फुर्तीला जानवर होता है। यह संवेदनशील होने के साथ-साथ भावुक भी होता है। जब भी घायल हिरण का इलाज करना होता है तो इसके लिए सबसे पहले उसकी आंखों पर पट्टी बांध देता हूं। फिर जैसी स्थिति उसके अनुसार इलाज करता हूं या फिर वन विभाग को ले जाकर सौंप देता हूं। मैं अब तक सौ से ज्यादा हिरणों की जान बचा चुका है।

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